मार्गशीर्ष अमावस्या 2024: पितरों को प्रसन्न कर पितृ दोष से पाएं मुक्ति, इस दिन भगवान विष्णु और शनिदेव की पूजा का भी विशेष महत्व
29-Nov-2024
मार्गशीर्ष अमावस्या का पौराणिक महत्व बहुत विशेष माना जाता है. मार्गशीर्ष मास भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि पितरों के आशीर्वाद का एक उत्तम समय है. यह दिन पितरों को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे शुभ समय होता है. खासकर इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के सभी रुके हुए कार्य पूरे होते हैं और उन्हें भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन को लेकर मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
बता दें, पितृ दोष के कारण कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे संतान सुख में रुकावट, कार्य में विघ्न, बीमारी और घर में कलह. मार्गशीर्ष अमावस्या पर किए गए धार्मिक अनुष्ठान से इन समस्याओं का समाधान होता है.
इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या 30 नवंबर 2024 को शनिवार के दिन है, जो विशेष रूप से शनिश्चरी अमावस्या कहलाती है. इस दिन शनिदेव की पूजा का भी विशेष महत्व है.
अमावस्या तिथि और व्रत का समय:
अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 30 नवंबर 2024 को सुबह 10:29 बजे
अमावस्या तिथि का समापन: 1 दिसंबर 2024 को सुबह 11:50 बजे
इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या पर व्रत 1 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा, क्योंकि अमावस्या तिथि का समापन 1 दिसंबर को हो रहा है. हालांकि, जो लोग पितरों के लिए पूजा या उपाय करना चाहते हैं, वे 30 नवंबर को यह कार्य कर सकते हैं.
इस दिन शनिदेव की पूजा का महत्व:
मार्गशीर्ष अमावस्या शनिवार को पड़ने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है. इस दिन शनि देव की पूजा करने से शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है और शनिदोष को दूर किया जा सकता है. इस दिन शनि की प्रिय वस्तुओं का दान करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है.
पितरों को प्रसन्न करने के उपाय:
पीपल के पेड़ पर दीपक जलाना:
इस दिन शाम के समय पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल का दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है. इससे पितरों की आत्मा की शांति होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
दान का महत्व:
शनिवार को शनिदेव की पूजा और पितरों के आशीर्वाद के लिए दान करना बहुत लाभकारी होता है. काले तिल, काली उड़द, काला छाता और अन्य शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए.
पितृ स्तोत्र और पितृ कवच का पाठ:
इस दिन पितृ स्तोत्र और पितृ कवच का पाठ करना बहुत प्रभावशाली होता है. इससे पितृ दोष कम होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
गाय की सेवा:
इस दिन गाय की सेवा करनी चाहिए और रोटी में गुड़ रखकर गाय को खिलाना चाहिए. ऐसा करने से पितरों के साथ-साथ देवी-देवताओं की भी कृपा प्राप्त होती है.
तुलसी पूजा:
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन तुलसी के सामने दीपक जलाना और उसकी पूजा करना भी लाभकारी होता है. इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं.
गरुड़ पुराण का पाठ:
पितरों की आत्मा की शांति के लिए गरुड़ पुराण का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है. यह उपाय पितरों की अतृप्त आत्माओं को शांति प्रदान करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख आता है.
दीपदान:
इस दिन दीपदान का भी महत्व है. आप शाम 5:25 बजे के बाद दीपक जलाकर अपने पितरों के लिए दान कर सकते हैं. विशेष रूप से घर के दक्षिण कोने में दीपक जलाना चाहिए. इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
अन्न दान:
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन अन्न दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. आप अपनी सामर्थ्यानुसार गेहूं, चावल, दाल आदि का दान कर सकते हैं. इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और आपके जीवन में खुशहाली आती है.