Property Tips: प्लॉट खरीदने वक्त इन बातों का जरूर रखें ख्याल
आपने अपने आस पास ऐसे कई लोगों को देखा होगा जिनको बिना कुछ खास काम किए इतना धन मिल जाता है जिसे देखकर वाकई काफी हैरानी होती है। ये धन या तो आकस्मिक रूप से मिलता है, चाहे वह पैतृक धन हो या फिर अनायास ही किसी का दिया हुआ। इस तरह के धनागमन का एक कारण व्यक्ति का घर भी होता है। कहा जाता है कि धनआगमन का एक स्त्रोत लक्ष्मीवान भूमि भी होती है। घर की भूमि अनेक प्रकार के प्रभावों वाली होती हैं। घर के लिए प्लॉट लेते वक्त इन बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।
सालों तक बचत करने और योजना बनाने के बाद आपकी कोशिश यह होनी चाहिए कि आप सही फैसला लें, जिससे बाद में आपको कोई पछतावा ना हो।
हम आपको यहां कुछ जरूरी बातें बता रहे हैं जिनका ध्यान रखकर आप सही फैसला ले सकते हैं। घर खरीदने में आपकी बचत के साथ होम लोन के रूप में भी काफी रकम निवेश की जाती है, इस हिसाब से आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।
नया घर या फ्लैट खरीदते वक्त आपको इलाके की लोकेशन, फ्लैट या घर के पजेशन की तारीख और कारपेट एवं कवर्ड एरिया जैसी कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
प्रॉपर्टी की कीमत :- आस-पास के इलाके में मौजूद प्रॉपर्टी से अपनी संपत्ति की तुलना करें। इससे आपको पता लग जायेगा कि बिल्डर ने आपको सही कीमत बताई है या नहीं। अब ऐसे बहुत से साधन हैं जिनसे आप संपत्ति कीमत की तुलना कर सकते हैं। प्रॉपर्टी की ऑनलाइन साईट, इलाके के प्रॉपर्टी डीलर और न्यूजपेपर में छपने वाले विज्ञापन से आप उस इलाके में संपत्ति की कीमत का अनुमान लगा सकते हैं।
लैंड रिकॉर्ड :- जिस जमीन पर आपका मकान बना है, वह बहुत महत्वपूर्ण है। आपको उस जमीन की मिट्टी के बारे में पता होना चाहिए। इसके साथ ही वजह जमीन हर तरह के सरकारी बकाये से मुक्त होनी चाहिए और रजिस्टर्ड होनी चाहिए। घर खरीदने से पहले आपको टाइटल डीड जरूर देखना चाहिए और उसे वेरीफाय करना चाहिए। इस डीड में जमीन के मालिकाना हक आदि के बारे में विस्तृत जानकारी होती है।
प्रॉपर्टी की कानूनी जानकारी :- आपको प्रॉपर्टी खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस जमीन पर यह बनी है, वह कानूनी झंझट से मुक्त हो। आप यह पता करें कि क्या डेवलपर को सभी मंजूरी मिल गयी है? इसमें रजिस्ट्रार, इलाके की डेवलपमेंट अथॉरिटी, जल आपूर्ति, विद्युत् बोर्ड और नगर निगम आदि शामिल हैं। अगर आप होम लोन लेकर यह प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो इस बात की जानकारी लोन देने वाला बैंक अपने स्तर से खुद ही चेक कर लेता है।
फ्लैट का लोकेशन :- चूंकि संपत्ति खरीदना लंबी अवधि का निवेश है, इस हिसाब से आपको प्रॉपर्टी के लोकेशन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इलाके में मौजूद सुविधाएं, इन्फ्रास्ट्रक्चर और जरूरी सेवा तक पहुंच कुछ ऐसी चीज है जिसका बहुत ध्यान रखा जाना चाहिए। आप इन सब चीजों पर ध्यान देंगे तो रहने से हिसाब से आपको सुकून मिलेगा। आपका फ्लैट सुरक्षित इलाके में भी होना चाहिए जिससे आप और आपका परिवार सुरक्षित रहे।
पजेशन की तारीख :- दिल्ली-एनसीआर या देश के बड़े शहरों में प्रॉपर्टी खरीदते वक्त आपको पजेशन की तारीख का भी ध्यान रखने की जरूरत है। अब बिल्डर आम तौर पर पजेशन में काफी देर लगा रहे हैं। एक बायर के रूप में आपको पजेशन देने में देरी होने पर मुआवजे की रकम के बारे में एग्रीमेंट में दिए क्लॉज पर ध्यान देना चाहिए। आम तौर पर बिल्डर आपसे छह महीने का ग्रेस पीरियड मांग सकता है, लेकिन उसके लिए भी वैध कारण होना चाहिए।
बिल्डर-बायर एग्रीमेंट :- जब आप किसी बिल्डर से फ्लैट खरीदने जाते हैं और आप टोकन अमाउंट देकर फ्लैट बुक करते हैं तो आपको एक अलॉटमेंट लेटर मिलता है। उसके बाद अगर आप बैंक से लोन के लिए आवेदन करते हैं तो एक त्रिपक्षीय समझौता होता है। आपको इसे पढ़कर समझना चाहिए। अगर आपको कोई चीज समझ नहीं आ रही तो आपको बैंक या बिल्डर से उसे क्लियर करना चाहिए।
अतिरिक्त और छुपे हुए चार्ज :- आप प्रॉपर्टी खरीदने से संबंधित सभी चीज ध्यान से देखें। आपके लेट पेमेंट पर कितना जुर्माना लगता है और बिल्डर के लेट पजेशन देने पर कितनी पेनाल्टी है, सबका ध्यान रखें। अगर आपको समय पर फ्लैट नहीं मिलता तो बिल्डर हर महीने आपको एक तय रकम पेनाल्टी के रूप में देता है। इसके अलावा स्टांप ड्यूटी, होम लोन की प्रोसेसिंग फीस, रजिस्ट्री कराने का खर्च, समेत बाकी खर्च के बारे में आपको पहले से ही जानकारी ले लेनी चाहिए।