अंबिकापुर. जिले के उदयपुर ब्लॉक में स्थित केते एक्सटेंशन कोल परियोजना की जनसुनवाई के समर्थन में प्रभावित गांवों के ग्रामीणों ने शुक्रवार को सदस्य सचिव छत्तीसगढ़ पर्यावरण अधिकारी और पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारी को ज्ञापन सौंपा. ग्रामीणों ने परसा में होने वाले पर्यावरणीय जन सुनवाई का समर्थन करने और इसे तय समय में पूरी कराने की मांग की है.
ग्राम परसा के उप सरपंच गणेशराम यादव, ग्राम केते से कृष्ण कुमार श्याम, हरिहरपुर से राजेश्वर दास, साल्ही से मोहर साय पोर्ते, चंद्रकेश्वर सिंह, रघुनन्दन सिंह, फतेहपुर से केश्वर सिंह पोर्ते और ग्राम तारा से बाबूलाल यादव 19 जुलाई को नवा रायपुर स्थित पर्यावास भवन पहुंचे. ग्रामीणों ने केते एक्सटेंशन परियोजना की जनसुनवाई तय समय पर कराने के लिए करीब 100 से अधिक ग्रामीणों का हस्ताक्षरित ज्ञापन सदस्य सचिव, छत्तीसगढ़ राज्य पर्यावरण संरक्षण मण्डल के कार्यालय में जमा कराया. इस दौरान मौजूद परसा के उप सरपंच गणेश राम यादव ने बताया कि, हम सभी ग्रामवासी 2 अगस्त 2024 को केते एक्सटेंशन के लिए हमारे गांव परसा में होने वाले पर्यावरणीय जन सुनवाई का समर्थन करते हैं और इसे तय समय में पूरी कराने की मांग करते हैं.
ज्ञापन में ग्राम परसा, घाटबर्रा, हरिहरपुर, जनार्दनपुर इत्यादि गांव के ग्रामीणों ने लिखा है कि राजस्थान राज्य विद्युत की केते एक्सटेंशन कोयला खदान परियोजना की जन सुनवाई तय समय पर हो. हम सभी जनप्रतिनिधि एवं ग्रामवासी चाहते हैं कि परियोजना आए और क्षेत्र के लोगों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराई जाए, जिससे क्षेत्र का बहुमुखी विकास हो सके. केते एक्सटेंसन कोल ब्लाक का भविष्य में संचालन होने से यहां पर हजारों लोगों को नौकरी एवं स्व रोजगार के साथ साथ शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं का विस्तार होगा. वर्तमान में संचालित परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खदान से हमें विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का मौका मिला है. हमारे बच्चों की निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था के लिए सीबीएसई अंग्रेजी माध्यम का स्कूल से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे. वहीं स्वास्थ्य के लिए अस्पताल की स्थापना भी की जाएगी, जिसके अन्तर्गत हम ग्रामवासियों का निः शुल्क उपचार हो सकेगा.
कुछ बाहरी तथाकथित एनजीओ के द्वारा गांव के सीधे-साधे ग्रामवासियों को बहलाकर जन सुनवाई के विरोध में प्रशासन के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने की जानकारी प्राप्त हुई हैं, जो पूर्णतः गलत है. हम ग्रामवासियों का परियोजना के पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए सुनवाई का किसी प्रकार का कोई विरोध नहीं है. ग्रामीणों ने केते एक्सटेंसन कोल ब्लाक के पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए होने वाले जन सुनवाई का शांतिपूर्ण तरीके से आयोजन कराने की मांग की है.
उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी इन ग्रामीणों ने राजस्थान राज्य विद्युत की वर्तमान में संचालित परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी) कोयला खदान के निर्बाध संचालन तथा परसा कोल ब्लॉक (पीसीबी) को शुरू कराने का ज्ञापन वर्ष 2021 के मार्च से वर्तमान वर्ष 2024 के जुलाई महीने तक निम्न तिथियों में मुख्य मंत्रियों और उच्चाधिकारियों को सौंपी है.
वर्ष 2021 में 01 जून को पीसीबी खोलने का अनुरोध छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को और 10 दिसंबर को पीईकेबी और पीसीबी खोलने का अनुरोध सांसद राहुल गांधी से किया गया. इसी क्रम में वर्ष 2022 में 1, 8, 25, 28 और 29 मार्च को पीसीबी खोलने का अनुरोध क्रमशः एसडीओ सरगुजा, छत्तीसगढ़ के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव, कलेक्टर सरगुजा और आईजी सरगुजा से जबकि छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, एसडीओ उदयपुर एवं कलेक्टर सरगुजा से किया गया. इसी वर्ष में 3 नवंबर को छत्तीसगढ़ के तात्कालिन मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री से अनुरोध किया गया. वहीं वर्ष 2023 में भी पीसीबी खोलने का अनुरोध के लिए ज्ञापन 12 फरवरी को राकेश टिकैत, 12 दिसंबर को अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल और प्रेम नगर के विधायक से 26 दिसंबर को सरगुजा कलेक्टर से घाटबर्रा भूमि अधिग्रहण, मुआवजा और रोजगार के लिए ज्ञापन सौंपकर अनुरोध किया गया, लेकिन इन ग्रामीणों की पुकार किसी ने नहीं सुनी.
अब अगर वर्तमान वर्ष की बात करें तो 11 जनवरी को पीईकेबी पुनः खोलने का अनुरोध सरगुजा कलेक्टर से, 13 फरवरी को पीईकेबी के निर्बाध संचालन तथा पीसीबी कोयला खदान खोलने का अनुरोध सांसद राहुल गांधी से, 18 जून को ग्राम घाटबर्रा के प्रस्तावित विशेष ग्राम सभा पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन का समर्थन करने के संबंध में सरगुजा कलेक्टर से, 13 जुलाई को पीईकेबी के निर्बाध संचालन तथा पीसीबी कोयला खदान खोलने का अनुरोध छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से और 15 जुलाई को केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक की पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए जन सुनवाई का समर्थन करने के संबंध में सरगुजा कलेक्टर एवं क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया है.