संस्कृति

Shardiya Navratri 2024: नवरात्र के तृतीय दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा, आप इस मंत्र का करे जाप, मां होगी प्रसन्न…

 Shardiya Navratri 2024: आज शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप, माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाएगी. माता चंद्रघंटा का प्रतीकात्मक रूप अत्यंत महत्वपूर्ण है; इनकी शिखर पर चंद्रमा और हाथ में घंटा है. चंद्रमा को शांति का प्रतीक माना जाता है, जबकि घंटा नाद का प्रतीक है, जो शक्ति और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है.



देवासुर संग्राम के दौरान देवी के घंटा नाद से अनेक असुर काल के ग्रास बन गए. यह घटना यह दर्शाती है कि नाद, अर्थात् ध्वनि, में अपार शक्ति होती है. शास्त्रों में आराधना में नाद पर विशेष ध्यान दिया गया है, क्योंकि इसे सुर और संगीत के माध्यम से वशीकरण का बीज मंत्र माना गया है. माता चंद्रघंटा देवी, जो नाद की आराध्य शक्ति हैं, भक्तों को यह सिखाती हैं कि नाद केवल शक्ति का स्रोत नहीं, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन का भी साधन है.

माता चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को शांति और ध्यान की प्राप्ति होती है. उनकी आराधना करने से मन की शांति और आंतरिक संतुलन स्थापित होता है. भक्तजन इस दिन विशेष ध्यान, मंत्र जाप और उपासना करते हैं, जिससे उन्हें देवी की कृपा प्राप्त होती है.

इस प्रकार, माता चंद्रघंटा की पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास का एक साधन है. भक्तजन इस अवसर पर शांति, समृद्धि और शक्ति की प्राप्ति के लिए माता चंद्रघंटा से प्रार्थना करते हैं.

उपासना के मंत्र: 

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता. प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 
 मां के इस स्वरूप की आराधना में सिद्धकुंजिका स्तोत्रम का पाठ मंगल फलदायी है.

माता चंद्रघंटा का प्रिय भोग:

माता चंद्रघंटा का प्रिय भोग आमतौर पर मिठाईयां होती हैं. विशेष रूप से, उन्हें खीर, लड्डू, और विभिन्न प्रकार के फल अर्पित किए जाते हैं. इनके अलावा, कुछ भक्त उन्हें चूरमा और हलवा भी भोग के रूप में अर्पित करते हैं. माता की पूजा में शुद्धता और भक्ति का विशेष ध्यान रखा जाता है. 

 

Leave Your Comment

Click to reload image