Vrischika Sankranti: वृश्चिक संक्रांति तब होती है जब सूर्य धनु राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है. यह घटना आमतौर पर 16 नवंबर के आसपास होती है. इस समय सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश से कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. वृश्चिक संक्रांति तब मनाई जाती है जब सूर्य देव तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान सूर्य एक राशि में 30 दिनों तक रहते हैं, इसलिए हर महीने संक्रांति का त्योहार आता है. एक वर्ष में 12 संक्रान्ति मनाई जाती हैं. वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने और दान देने का विशेष महत्व है. इस दिन पितरों को तर्पण भी दिया जाता है. इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है.
Vrischika Sankranti से जुड़ी कुछ खास बातें
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है.
इस दिन ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन, वस्त्र, गाय आदि का दान करना शुभ माना जाता है.
संक्रांति के दिन तीर्थ यात्रा की परंपरा है.
देवी पुराण के अनुसार जो व्यक्ति संक्रांति के दिन पवित्र स्नान नहीं करता वह सात जन्मों तक रोगी और दरिद्र रहता है.
ज्योतिषीय गणना के अनुसार साल 2024 में वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर को सुबह 7:31 बजे पड़ेगी.
शुभ समय
अगहन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 16 नवंबर को सुबह 07 बजकर 41 मिनट पर सूर्य देव वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे. इस दिन शुभ समय सुबह 06:45 बजे से सुबह 07:31 बजे तक है. वहीं, महापुण्यकाल सुबह 06 बजकर 45 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक है. श्रद्धालु अपनी सुविधा के अनुसार शुभ काल में स्नान, ध्यान, पूजा, जप, तप और दान कर सकते हैं.