एक कन्या ने गणेश जी को दिया था दो विवाह का श्राप, जानें पूरी कहानी…
28-Nov-2024
गणेश प्रथम पूजनीय देवता हैं अर्थात किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अवश्य करनी चाहिए. भगवान गणेश की दो पत्नियां हैं, रिद्धि और सिद्धि. उसी समय भगवान गणेश की दोनों पत्नियों से शुभ-लाभ नामक पुत्र पैदा हुए. कई बार मन में यह सवाल आता है कि भगवान गणेश ने दो बार शादी क्यों की? आइये जानते हैं गणेश जी की दोनों पत्नियों का रहस्य.
अपने पिछले जन्म में देवी तुलसी भगवान गणेश से विवाह करना चाहती थीं. एक पौराणिक कथा के अनुसार गणेश जी के दो विवाह के पीछे का कारण एक श्राप है. इसका संबंध तुलसी जी से है. जब गणेश जी तपस्या में लीन थे तो तुलसीजी की नजर उन पर पड़ी. तुलसी उनकी ओर आकर्षित हुईं और विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन गणेश ने ब्रह्मचारी रहने का फैसला किया. इसलिए गणेश जी ने तुलसी के विवाह प्रस्ताव को बार-बार अस्वीकार कर दिया.
इस लिए दिया था दो पत्नि का श्राप
जब प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया तो तुलसी क्रोधित हो गईं और उन्होंने गणेश को दो विवाह करने का श्राप दे दिया. तुलसीजी ने क्रोधित होकर गणेशजी को श्राप दिया कि आप विवाह के पवित्र बंधन में बंधना नहीं चाहते और इस कारण आप एक कन्या के विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर रहे हैं. अब हमारी एक नहीं बल्कि दो-दो शादियां हैं.’ इसका मतलब है कि उन्हें दो बेटियां स्वीकार करनी होंगी. बाद में गणेश जी का विवाह दो पुत्रियों रिद्धि और सिद्धि से हुआ.
गणेशजी ने भी दे दिया था राक्षस से शादी का श्राप
जब गणेशजी ने तुलसी के मुख से कठोर वचन सुने तो उन्हें भी क्रोध आ गया और उन्होंने तुलसीजी को श्राप देते हुए कहा कि तुम्हारी बातें राक्षसी लगती हैं, इसलिए तुम किसी भी देवता या मनुष्य के साथ रहने के योग्य नहीं हो. तुम्हारा विवाह एक राक्षस से होगा. इस प्रकार तुलसी को दिया गया श्राप पूरा हुआ और तुलसी का विवाह जलंधर नामक राक्षस से हो गया. यही कारण है कि गणेश पूजा में तुलसी को वर्जित माना गया है.