रोचक तथ्य

"महाराजा अग्रसेन: अग्रवाल समाज के जनक और उनके महत्वपूर्ण इतिहास का अध्ययन"


महाराजा अग्रसेन को श्रीराम का वंशज माना गया है. अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानि शारदीय नवरात्रि के पहले दिन हर साल महाराजा अग्रसेन की जयंती (Agrasen Jayanti) मनाई जाती है. महाराज अग्रसेन, अग्रवाल अर्थात वैश्य समाज के जनक कहे जाते हैं. इन्होंने व्यापारियों के राज्य की स्थापना की थी यही वजह है कि अग्रसेन जी के जन्मोत्सव पर व्यापारी क्षेत्र से जुड़े लोग विधि विधान से उनकी पूजा करते हैं. आइए जानते हैं इस साल महाराजा अग्रसेन जयंती (Agrasen Jayanti) की डेट, मुहूर्त और उनसे जुड़ा इतिहास.

महाराजा अग्रसेन जयंती 2023

इस साल 15 अक्टूबर यानी आज महाराजा अग्रसेन जी की जयंती (Agrasen Jayanti) मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 को रात 11.24 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 15 अक्टूबर 2023 को प्रात: 12.32 मिनट पर समाप्त होगी.

महाराजा अग्रसेन जी का इतिहास

अग्रसेन राजा वल्लभ सेन के सबसे बड़े पुत्र थे. कहा जाता हैं इनका जन्म द्वापर युग के अंतिम चरण में हुआ था, जिस वक्त राम राज्य हुआ करता था. इन्हें श्रीराम की 34वीं पीढ़ी कहा जाता है. गणतंत्र के स्थापक और अहिंसा के पुजारी महाराजा अग्रसेन की नगरी का नाम प्रतापनगर था. बाद में इन्होने अग्रोहा नामक नगरी बसाई थी.

महाराजा अग्रसेन ने क्यों त्यागा क्षत्रिय धर्म

अग्रसेन जी के जीवन के 3 आदर्श रहे हैं, एक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था, दूसरा आर्थिक समरूपता और तीसरा सामाजिक समानता. मनुष्यों के साथ पशु-पक्षियों से महाराजा अग्रसेन का अटूट लगाव था, इसी कारण उन्होंने यज्ञों में पशु की आहुति को गलत करार दिया और अपना क्षत्रिय धर्म त्याग कर वैश्य धर्म की स्थापना की इस प्रकार वे अग्रवाल समाज के जन्म दाता बने.

कैसे हुई अग्रवाल समाज की उत्पत्ति

महाराजा अग्रसेन ने राज्य के नागराज महिस्त कन्या सुंदरावती से दूसरा विवाह किया. जिससे उन्हें 18 पुत्रों की प्राप्ति हुई. कहते हैं मां लक्ष्मी ने राजा अग्रसेन को स्वप्न में आकर वैश्य समाज की स्थापना के लिए कहा था. राजा अग्रसेन ने वैश्य जाति का जन्म तो कर दिया, लेकिन इसे व्यवस्थित करने के लिए 18 यज्ञ हुए और उनके आधार पर गोत्र बनाये गए. अग्रसेन महाराज के 18 पुत्रों ने यज्ञ का संकल्प लिया. जिन्हें 18 ऋषियों ने पूरा करवाया. इन ऋषियों के आधार पर गोत्र की उत्त्पत्ति हुई, जिसने भव्य 18 गोत्र वाले अग्रवाल समाज का निर्माण किया गया.

मां लक्ष्मी से पाया आशीर्वाद

मान्यता है एक बार महाराजा अग्रसेन के राज्य में सूखा पड़ गया था, धन-अन्न के लाले पड़ गए थे. तब लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने कठोर तप किया तो मां लक्ष्मी ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए और धन वैभव प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया.

ये है अग्रवास समाज के 18 गोत्र

बंसल, बिंदल, धारण, गर्ग, गोयल, गोयन, जिंदल, कंसल, कुच्छल, मधुकुल, मंगल, मित्तल, नागल, सिंघल, तायल, तिंगल, भंदल, ऐरन. 

 

 

 

 

 

 

 

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