CJI BR Gavai React On Parliament or Judiciary is supreme? हाल के दिनों में मोदी सरकार द्वारा संसद से कानूनों को पारित कराने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की ओर से उसपर स्टे लगाने को लेकर देश में आजकल एक सवाल खूब उठ रहा है कि- संसद सर्वोच्च है या न्यायपालिका? इसे लेकर अब भारत के मुख्य न्यायाधीश यानी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने बीआर गवई ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमेशा इस बात पर चर्चा होती है कि लोकतंत्र का कौन सा अंग सर्वोच्च है- कार्यपालिका (executive), विधायिका (Legislature) या न्यायपालिका (Judiciary)। मेरी नजरों में तो संविधान (Constitution) सर्वोपरि है। गवई पिछले महीने देश के 52वें चीफ जस्टिस बने थे।
दरअसल सीजेआई भूषण रामकृष्ण गवई (Bhushan Ramkrishna Gavai) महाराष्ट्र के अमरावती में एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान सीजेआई ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरी नजरों में संविधान सर्वोपरि है।
CJI ने कहा कि संसद के पास संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे में बदलाव नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सर्वोच्च है। लोकतंत्र के तीनों अंग संविधान के तहत काम करते हैं।
जजों को हमेशा याद रखनी चाहिए ये बात- CJI
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि सरकार के खिलाफ आदेश पारित करने मात्र से कोई जज स्वतंत्र नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि जजों को हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारा कर्तव्य है और हम नागरिकों के अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक हैं। हमारे पास केवल शक्ति नहीं है, बल्कि हम पर कर्तव्य भी डाला गया है।
बुलडोजर एक्शन पर कही ये बड़ी बात
सीजेआई गवई ने कहा कि किसी जज इस बात से फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि लोग उनके फैसले के बारे में क्या कहेंगे या क्या महसूस करेंगे। हमें स्वतंत्र रूप से सोचना होगा। लोग क्या कहेंगे, यह हमारे फैसले लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकता। वहीं, उन्होंने अपने कुछ फैसले का भी जिक्र किया।’बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ अपने फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आश्रय का अधिकार सर्वोच्च है।