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UN रिपोर्ट में बड़ा दावा: AI के विकसित होने से पूरे विश्व में 40% नौकरियों पर खतरा…

 संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि जनरेटिव AI दुनिया भर में 40% से अधिक नौकरियों को प्रभावित कर सकता है.


AI का बढ़ता प्रभाव और संभावित खतरे
विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि सस्ती श्रम लागत उनकी सबसे बड़ी ताकत है, जो अब AI से प्रभावित हो सकती है.
AI केवल नौकरियां खत्म नहीं करेगा, बल्कि नई इंडस्ट्रीज और रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा.
रिपोर्ट के अनुसार, 2033 तक AI उद्योग का बाजार मूल्य 4.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जो जर्मनी की अर्थव्यवस्था के बराबर है.
AI का वैश्विक असमानता पर असर
AI गवर्नेंस में 118 देश पीछे: रिपोर्ट में कहा गया है कि 118 देश (मुख्यतः ग्लोबल साउथ) AI नीति-निर्माण की चर्चाओं से गायब हैं, जिससे वे इसके लाभों से वंचित हो सकते हैं.
AI कंपनियों का वर्चस्व: आज Apple, Nvidia और Microsoft जैसी कंपनियों का बाजार मूल्य $3 ट्रिलियन के आसपास है, जो पूरे अफ्रीकी महाद्वीप की GDP के बराबर है.
क्या कहते हैं अन्य वैश्विक संगठन?
IMF ने भी AI से बेरोजगारी और असमानता बढ़ने की चेतावनी दी थी.
World Economic Forum की जनवरी 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, 41% कंपनियां उन क्षेत्रों में कर्मचारियों की कटौती करने की योजना बना रही हैं, जहां AI लागू किया जा सकता है.
AI से समावेशी विकास कैसे संभव? UNCTAD की सिफारिशें
AI सार्वजनिक प्रकटीकरण तंत्र (Public Disclosure Mechanism) बनाया जाए.
साझा AI इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाए.
ओपन-सोर्स AI मॉडल को बढ़ावा दिया जाए, ताकि अधिक देशों को इसका लाभ मिल सके.
नियामक नीतियां और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सुनिश्चित किया जाए, ताकि AI कुछ देशों या कंपनियों तक सीमित न रहे.
AI का भविष्य: अवसर या खतरा?
रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि AI नवाचार, प्रगति और समृद्धि का स्रोत बन सकता है, लेकिन इसके प्रभावों को संतुलित करने के लिए रणनीतिक निवेश और न्यायसंगत नीतियों की आवश्यकता होगी. यदि AI का सही ढंग से नियमन नहीं किया गया, तो यह तकनीकी असमानता को और बढ़ा सकता है.

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