छत्तीसगढ़ /

मरने के बाद मेकाज को सौंपना मेरे पार्थिव शरीर को...

परिजनों ने पूरी की आखिरी इच्छा छत्तीसगढ़ संवाददाता जगदलपुर, 2 अप्रैल। शहर के धरमपुरा नंबर 3 में रहने वाले बुजुर्ग ने अपनी अंतिम इच्छा बताते हुए अपने बेटे व बेटियों से कहा था कि अगर मेरी आत्मा को शांति देना चाहते हो तो मेरे शव को मेकाज के छात्रों को सौंप देना, जिससे कि मेरा पार्थिव देह से सीखने को बहुत कुछ मिलेगा। इस बात को सांतरा परिवार के सुगंधा, सृष्टि व पलाश ने बुधवार को अपने पिता के पार्थिव शरीर को एनाटॉमी विभाग को सौंपने से पहले बताया। बताया जा रहा है कि धरमपुरा नंबर 3 में रहने वाले सुपर्ण सांतरा अपने घर में एक आटा चक्की चलाने का काम करते थे, इसी चक्की से अपने दोनों बेटी व बेटे की पढ़ाई करवाई. बेटी सुगंधा, सृष्टि व पलाश ने बताया कि पिता जब भी बातें करते तो हमेशा इसी बात को लेकर मलाल था कि वे अपने देहदान का फार्म नहीं भर पाए थे, लेकिन उनकी इच्छा थी कि मेरी मौत के बाद मेरे शव को मेडिकल कॉलेज डिमरापाल के छात्रों को सौंप देना, जिससे कि उनके शव से छात्र पढ़ाई कर सकेंगे। वास्तव में देखा जाए तो मेरी आत्मा को तभी शांति मिलेगी, जब मेरे शव का अंतिम संस्कार न करते हुए मेकाज के एनाटॉमी विभाग को सौंपा जाए। पिता के इस बातों को बच्चों ने अपने दिमाग में बैठाकर रखा था, जहाँ मंगलवार को सुपर्ण की इलाज के दौरान विशाखापत्तनम में निधन हो गया। निधन के बाद बुधवार की सुबह परिजन जगदलपुर पहुँचे, जहाँ मेकाज के डॉक्टरों से चर्चा करने के बाद पूरे सम्मान के साथ पिता के शव को मेकाज को सौंपा गया। 2 माह पहले एक आयुर्वेदिक डॉक्टर का हुआ था देहदान ज्ञात हो कि 2 माह पहले 24 जनवरी को इंदिरा वार्ड में रहने वाले आयुर्वेदिक डॉक्टर मोहन लाल गर्ग (72 वर्ष) के पार्थिव शरीर को परिजनों ने मेकाज के सौंपा था।

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