संस्कृति

कमर पर लाल या काला धागा क्यों बांधना चाहिए? बच्चों ही नहीं, बड़ों को भी होते हैं कई फायदे

 भारत में कई परंपराएं और रीति-रिवाज़ प्रचलित हैं, जिनके पीछे धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक कारण भी छिपे होते हैं. इन्हीं में से एक है कमर पर लाल या काला धागा बांधना. आमतौर पर इसे बच्चों से जुड़ी परंपरा माना जाता है, लेकिन वयस्कों के लिए भी यह काफ़ी लाभकारी हो सकता है.


बच्चों को काला धागा इसलिए बांधा जाता है ताकि उन्हें बुरी नज़र और नकारात्मक ऊर्जा से बचाया जा सके. मान्यता है कि मासूम बच्चों पर निगेटिव एनर्जी जल्दी असर डालती है, इसलिए यह धागा एक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है. यही सिद्धांत बड़ों पर भी लागू होता है, विशेषकर तब जब वे बार-बार बीमार पड़ते हैं, जीवन में लगातार बाधाओं का सामना कर रहे होते हैं या मानसिक तनाव से जूझ रहे होते हैं.


कमर पर धागा बांधने का संबंध ‘मूलाधार चक्र’ से भी जोड़ा जाता है, जो शरीर की स्थिरता और ऊर्जा का मुख्य केंद्र माना जाता है. लाल या काला धागा इस चक्र को सक्रिय रखने और ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने में मदद कर सकता है. ज्योतिष के अनुसार, यह उपाय विशेष रूप से शनि, राहु-केतु या मंगल दोष से राहत दिलाने में सहायक हो सकता है.

 ध्यान रखने योग्य बात यह है कि यह धागा मंगलवार (लाल धागा) या शनिवार (काला धागा) को पूजा-अर्चना करके बांधा जाए तो अधिक शुभ होता है. इसे बांधते समय मन में सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा की भावना रखनी चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह एक सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय है, जो न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ाता है.
 

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