छत्तीसगढ़ /

पार्वती शिक्षा महाविद्यालय में तीन दिनी कार्यशाला

छत्तीसगढ़ संवाददाता अंबिकापुर, 12 मार्च। पार्वती इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग रिसर्च एण्ड मैनेजमेंट, शिक्षा महाविद्यालय, मदनपुर, जिला सूरजपुर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर शनिवार से मंगलवार तक वूमेन्स सेल द्वारा तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रथम दिवस का प्रारंभ संस्था के अध्यक्ष सह चेयरमेन प्रमेन्द्र तिवारी व सहा प्राध्यापको के द्वारा माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम की रूपरेखा प्रभारी प्राचार्य प्रीति सोनी द्वारा प्रस्तुत किया गया और इस कार्यक्रम का संचालन जयमाला सिंह सहा. प्राध्यापक के निर्देशन में बी.एड. प्रशिक्षार्थियों द्वारा किया गया। जिसमें विभिन्न नृत्य, नाटक, कविता, संगीत आदि प्रस्तुत किया गया। इसी कड़ी में प्रथम दिवस की अतिथि अनिता मंदिलवार, व्याख्याता शा.उ. मा.वि. असोला व डॉ. श्वेता तिवारी आर.एम.ए. सी.एच.सी. लटोरी रही जिसमें अनिता मंदिलवार (सपना) लेखिका द्वारा प्रशिक्षार्थियों को लेखन और साहित्य की ओर प्रेरित किया और साथ कहा की अपने अंदर की प्रतिभा को निखारने की कोई उम्र नहीं होती। डॉ. श्वेता तिवारी ने अपने वक्तव्य में महिलाओ को कैसे अपनी स्वास्थ्य की सुरक्षा करनी है उस ओर ध्यान आकर्षित किया। कार्यशाला के दूसरे दिन डॉ. ज्योति सिन्हा भूतपूर्व प्राचार्य शा. राजमोहनी देवी कन्या महा. वि. अम्बिकापुर अपने संदेश द्वारा यह बताया की महिला और पुरुष एक दूसरे के प्रतियोगी नहीं बल्कि एक दूसरे के सहयोगी हैं उन्हें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए और महिलाओं को हमेशा आत्मनिर्भर बनना चाहिए, इसके साथ ही अर्जिता सिन्हा, डायरेक्टर कला संस्कृति संस्थान, अम्बिकापुर के द्वारा व्यासायिक शिक्षा के तहत छत्तीसगढ़ी ट्राइबल आर्ट की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी। अंतिम दिवस शिवानी जायसवाल, एस.डी. एम. सूरजपुर ने प्रशासनिक क्षेत्र में किस तरह से महिलाएं आगे बढ़ रही हैं और वह भी किस तरह से बढ़ सकते हैं उन्हें प्रेरित और प्रोत्साहित किया साथ ही श्रीमती मीना सिंह, नायब तहसीलदार, पिल्खा के द्वारा व्यापम परीक्षा में शामिल होने और सफलता प्राप्त करने का रास्ता बताया। सभी सहा. प्राध्यापको ने अपने अपने वक्तव्य द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनने और महिलाओं सम्मान करने की बात कही और सभी कार्यों की शुरूआत अपने परिवार, समाज और राष्ट्र से हो यह संदेश दिया तभी राष्ट्र का उत्थान किया जा सकता है इस प्रकार कार्यक्रम अपने उद्देश्य को प्राप्त करते हुए समाप्त हुआ।

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