संस्कृति

श्राद्ध में लोग अनजाने में करते हैं ये गलतियां, जानकारी की कमी बन जाती है पितरों के अप्रसन्न होने का कारण

 श्राद्ध पक्ष का समय पूर्वजों को स्मरण करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए सबसे पवित्र माना गया है. लेकिन अक्सर लोग सही विधि की जानकारी न होने के कारण अनजाने में ही कई ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं, जिनसे श्राद्ध का फल अधूरा रह जाता है. धर्मग्रंथों में कहा गया है कि श्राद्ध केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि श्रद्धा, सात्विकता और संयम का पर्व है.




अशुद्ध रहकर श्राद्ध करना: बिना स्नान किए, अशुद्ध वस्त्रों में या जल्दीबाजी में किए गए कर्म पितरों को तृप्त नहीं कर पाते. बचाव यही है कि स्नान कर स्वच्छ, सात्विक वस्त्र धारण करें.


वर्जित भोजन का उपयोग: प्याज, लहसुन, बैंगन, मसूर दाल और मांसाहार श्राद्ध भोजन में वर्जित हैं. इनके स्थान पर ताजा और सात्विक भोजन ही बनाएं.


कलह और क्रोध: श्राद्ध दिवस पर परिवार में झगड़ा, कलह या अपशब्द बोलना पितरों की अप्रसन्नता का कारण बनता है. इस दिन घर में सौहार्द और शांति का वातावरण बनाए रखें.

दान में दिखावा: अक्सर लोग केवल परंपरा निभाने या दिखावे के लिए दान कर देते हैं. जबकि शास्त्र स्पष्ट कहते हैं कि भोजन, अन्न या वस्त्र सच्चे भाव से दान करने पर ही पितरों को तृप्ति मिलती है.

निर्धारित समय का पालन: श्राद्ध का सर्वश्रेष्ठ समय दोपहर है. इसे सुबह या देर शाम तक टालना अशुभ माना गया है.

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