संस्कृति

Pitru Paksha 2025: इन प्रमुख तीर्थों पर जाकर पितृ दोष से पाएं मुक्ति, जानें सुविधाएं और जरूरी जानकारी

 Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष हो, तो जीवन में बाधाएं, आर्थिक संकट और रिश्तों में कलह बनी रहती है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पितृपक्ष में किया गया श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान पितरों की आत्मा को शांति देता है और पितृ दोष से मुक्ति दिला सकता है.



पितृपक्ष में कहां करें पिंडदान (Pitru Paksha 2025)
गया, बिहार: यहां अक्षयवट और फल्गु नदी के तट पर पिंडदान का विशेष महत्व है.
वाराणसी, उत्तर प्रदेश: काशी के मणिकर्णिका घाट और पंचगंगा घाट पर श्राद्ध-अर्पण का बड़ा आयोजन होता है.
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: गंगा-यमुना-सरस्वती संगम पर किया गया तर्पण बेहद फलदायी माना जाता है.
उज्जैन, मध्य प्रदेश: शिप्रा नदी के किनारे पितृ तर्पण और पूजन के लिए विशेष व्यवस्थाएं होती हैं.
नासिक, महाराष्ट्र: गोदावरी नदी के घाटों पर पिंडदान और श्राद्ध कर्म के लिए हजारों श्रद्धालु जुटते हैं.

सुविधाएं और व्यवस्थाएं (Pitru Paksha 2025)
इन तीर्थों पर पंडितों और कर्मकांडियों की ऑनलाइन व ऑफलाइन बुकिंग सुविधा उपलब्ध है. घाटों पर श्रद्धालुओं के लिए टेंट, रुकने की जगह और भोजन प्रसाद की व्यवस्था की जाती है. कई जगह प्रशासन की तरफ से सफाई, सुरक्षा और मेडिकल कैम्प की विशेष व्यवस्था रहती है.


बुकिंग और प्राथमिकता (Pitru Paksha 2025)
गया और काशी में पहले से ही पंडितों की बुकिंग करनी पड़ती है, क्योंकि पितृपक्ष में भीड़ बहुत अधिक होती है.
प्रयागराज और उज्जैन में भी पहले से तिथि और कर्मकांड फिक्स करवाना जरूरी है.
यदि कहीं पहले से जगह बुक न हो पाए, तो स्थानीय पंडा समाज वैकल्पिक घाट या समय तय कर देता है.
 

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