संस्कृति

Guru Pradosh Vrat, क्या आप जानते हैं इस व्रत के नियम…

  मार्गशीर्ष माह का पहला गुरु प्रदोष व्रत 28 नवंबर गुरुवार को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन प्रदोष काल में भगवान का अभिषेक करने से भी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस बार मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा?



मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 28 नंवबर को सुबह 6.24 मिनट से होगा. जो 29 नवंबर को सुबह 8:40 मिनट तक रहेगी. उदयकाल और प्रदोष काल दोनों में त्रयोदशी तिथि एक ही दिन पड़ने के कारण 28 नवंबर को प्रदोष व्रत को रखा जाएगा. शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है. आपके जीवन में चाहे कितनी भी परेशानियां, कष्ट क्यों न हों, इस व्रत के प्रभाव से वे सभी परेशानियां नष्ट हो जाती हैं.


Guru Pradosh Vrat के नियम क्या हैं?
जिस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. उस दिन सूर्योदय से पहले उठे. इसके बाद स्नान करें और फिर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए.


पूजा स्थल को साफ करें और भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें. जल में कच्चा दूध, दही, शहद और गंगाजल मिलाकर अभिषेक करें.

इस दिन शिव परिवार की पूजा करें और फिर भगवान शिव को बेलपत्र, फूल, धूप, दीप आदि चढ़ाएं. साथ ही माता पार्वती को श्रृंगार का सामान भी अर्पित करें.

प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और शिव चालीसा का पाठ करें. अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें.
 

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