हमारे शहर, गांव और किसी भी समाज के लिए कुछ घटनाएं दुखद होती है, चिंताजनक होती हैं और विचार का विषय भी होती हैं। मनुष्य होने के नाते दुख होता है कि मनुष्य समाज में आज भी ऐसी घटनाएं होती हैं. जिससे मनुष्य होने के नाते हर मनुष्य को चिंता होती है कि इस तरह की घटनाएं आज भी क्यों रही हैं। मनुष्य आज जब ज्ञान के उच्च शिखरों को छू रहा है तो ऐसी घटनाएं तो नहीं होनी चाहिए। टीवी,मोबाइल के युग में जब ज्ञान का प्रसार दूर दूर के गांवों तक पहुंचना आसान हो गया है तो कई गांवों में आज भी अज्ञान क्यों है, अंधविश्वास क्यों है।यह खत्म क्यों नहीं हो रहा है। इसे कैसे खत्म किया जा सकता है। ऐसी घटनाएं न हो इसके लिए क्या किया जाना चाहिए, मनुष्य समाज के लिए विचार का विषय है।
एक घटना सुकमा जिले के कोंटा के मुरलीगड़ा के समीप इतकल गांव की है।यहां प्रधान आरक्षक मौसम बुच्चा,पिता मौसम कन्ना,माता बिरी,पत्नी अरजो,बहन करका लच्छी को गांव के पांच लोगों घर में घुसकर लाठी,डंडे से पीट पीट कर मार डाला।३६ घरों वाले गांव में तीन सप्ताह से मौतें हो रही थी। इस पर गांव वालों का शक था कि बुच्चा की माता बिरी जादू टोना करती है। इससे पहले बलौदाबाजार के छरछेद में रामनाथ पाटले की बेटी की तबियत एक माह से खराब चल रही थी इसके लिए केंवट परिवार पर जादू टोने का शक था। इसके चलते रामनाथ व उनके बेटों चार लोगों की हत्या कर दी थी। मात्र ४ दिन इस तरह अंधविश्वास के चलते ९ लोगों की हत्या हो चुकी है।
ऐसी घटनाओं पर रोक लगे इसके लिए राज्य मेें कानून बनाया गया है। कई लोगों को सजा हुई है। इस तरह की घटनाएं आज भी होने से साफ है कि कानून बनाने से और दोषी लोगों को सजा मिलने इस तरह की घटनाएं रुकनेवाली नहीं है।यह भी सच है कि इस तरह की घटनाएं अज्ञान व अंधविश्वास के कारण पहले भी होती थी और आज भी हो रही हैं तो इससे साफ हो जाता है कि गांवों में आज भी जादू-टोना पर विश्वास करने वाले लोग हैं किसी मौत या कुछ लोगों की मौत हो जाए तो यह मानने वाले लोग हैं कि किसी ने जादू-टोना कर मारा है।
इसका मतलब है कि अज्ञान व अंधविश्वास है, जब तक यह अज्ञान व अंधविश्वास दूर नहीं होता, दूर नहीं किया जाता तब तक गांवों में इस तरह की घटनाओं को रोका नहीं जा सकता। गांवों में जादू-टोना के कारण मौत हुई, इस अंधविश्वास को खत्म करने की जरूरत है. इसको कौन खत्म करेगा।पहली जिम्मेदारी तो गांव के लोगों की है कि वह जादू-टोना के चलते मौत पर यकीन न करें और दूसरों को भी यकीन न करने दें।गांवों में यकीन न करने वालों की संख्या ज्यादा होगी तो अँधविश्वास के कारण होने वाली घटनाओं को गांव के लोग ही रोक सकेंगे। कहीं कुछ कोई इस तरह की बात कर रहा है तो उस पर गांव में बैठक बुलानी चाहिए, पंचायत तो हर गांव में है। मामला पहले पंचायत तक ले जाना चाहिए. वही अज्ञान व अंधविश्वास को दूर किया जाना चाहिए।
जादू-टोना जैसा कुछ नहीं होता है। गांवों के स्कूलों में भी शिक्षक को गांव के लोगों को कभी स्कूल बुलाकर या उनके बीच जाकर लोगों को बताना चाहिए कि जादू-टोना अज्ञान है, अंधविश्वास है। एक की मौत हो या कई लोगों की मौत का कारण कोई बीमारी भी होती है। इसके बाद पुलिस,एऩजीओ,सामाजिक संगठनों, संस्थाओं को अपने आयोजनाें में लोगों का जादू-टोने के प्रति जागरूक करना चाहिए।लोगों को यह भरोसा दिलाना चाहिए कि ऐसा कुछ नहीं होता है, जादू-टोने से किसी की मौत नहीं होती है, कोई भी जादू-टोना कर किसी को मार नहीं सकता।
अज्ञान व अंधविश्वास आज भी कहीं है तो उसे दूर करने की जिम्मेदारी पंचायत से लेकर सरकार तक सभी की है। इसके लिए निरंतर प्रयास करने की जरूरत है। तब तक प्रयास करने की जरूरत है जब तक लोगों के दिलो-दिमाग से यह धारणा ही खत्म न हो जाए कि उसके परिवार के किसी व्यक्ति की मौत जादू-टोने के कारण हुई है। कोई धारणा विश्वास करने के कारण बनती है, इसी तरह उस धारणा को खत्म भी विश्वास दिलाकर किया जा सकता है।
धारणा बचपन से बनती है, इसलिए जादू-टोने की धारणा का समाप्त करना है तो बच्चों से ही इसकी शुरूआत की जानी चाहिए। उनके मन में बचपन के बैठा दिया गया कि जादू-टोना जैसा कुछ नहीं होता है तो वह बड़े होने पर विश्वास नहीं करेंगे। यह काम परिवार,समाज,सरकार सभी कर सकते हैं और सभी को करना चाहिए।इस तरह के मामले पर राजनीतिक दलों को राजनीति नहीं करनी चाहिए। क्योंकि यह राजनीति का विषय नहीं है, यह तो समाज सुधार का विषय है। समाज में,गांव में कोई बुराई है तो उसे दूर करना सरकार का ही काम नहीं है, विपक्ष का भी काम है। सरकार व विपक्ष दोनों समाज सुधार का काम अपने अपने स्तर पर करे तो समाज सुधार जरूर होगा। ऐसी घटनाओं पर एक दिन जरूर रोक लगेगी।