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दिमाग में चल रही उथल-पुथल को शांत करेंगे 5 Ayurvedic Rituals...मिलेगी हैप्पी और टेंशन-फ्री लाइफ

 आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक तनाव और बेचैनी आम समस्या बन गई है। हर दिन किसी न किसी चिंता या विचारों के भंवर में फंसे रहना (Mental Clutter) हमारी शांति छीन लेता है। ऐसे में आयुर्वेद, जो हजारों साल पुरानी भारतीय चिकित्सा प्रणाली है, हमें कुछ ऐसे सरल उपाय सिखाता है जो दिमागी उथल-पुथल को शांत कर सकते हैं और जिंदगी में फिर से सुकून भर सकते हैं। आइए जानते हैं 5 ऐसे Ayurvedic Rituals जो आपको देंगे हैप्पी और टेंशन-फ्री लाइफ।

 

 

दिनचर्या (Dinacharya)

दिनचर्या यानी रोजाना की सही दिनचर्या हमारे जीवन को संतुलित रखने की पहली सीढ़ी है। आयुर्वेद के अनुसार सुबह जल्दी उठना, ताजे पानी से चेहरा धोना, ध्यान करना, सही समय पर भोजन करना और जल्दी सोना- ये सब आदतें दिमाग को स्थिर और शांत बनाती हैं। जब हमारा शरीर और मन एक नियमित रूटीन फॉलो करते हैं, तो फिजूल का तनाव खुद-ब-खुद कम हो जाता है।

कैसे करें शुरुआत?

सुबह सूर्योदय से पहले उठें।

दिन की शुरुआत गुनगुने पानी से करें।

दिनभर के कामों को एक संतुलित समय सारिणी के अनुसार करें।

नींद के लिए रात को एक तय समय रखें।

योग और एक्सरसाइज (Yoga And Exercise)

 

योग और लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज की रोजाना प्रैक्टिस करना दिमागी उथल-पुथल को कम करने का सबसे प्राकृतिक तरीका है। योगासन और प्राणायाम से नर्वस सिस्टम शांत होता है, स्ट्रेस हार्मोन कम होते हैं और मन में पॉजिटिविटी आती है।

योग से जुड़ने के फायदे

मानसिक संतुलन बनता है।

नींद बेहतर होती है।

फोकस और एकाग्रता बढ़ती है।

शुरुआत के लिए आसान योगासन: सुखासन, बालासन, शवासन और भ्रामरी प्राणायाम

 

 

जीभ की सफाई (Tongue Scraping)

जीभ साफ करना सुनने में भले छोटा काम लगे, लेकिन आयुर्वेद में इसका बहुत महत्व है। जीभ पर जमा टॉक्सिन्स न केवल फिजिकल हेल्थ खराब करते हैं, बल्कि मानसिक थकान और बेचैनी का कारण भी बनते हैं। सुबह उठकर तांबे या स्टील की स्क्रैपर से जीभ को साफ करने से न सिर्फ मुंह की सफाई होती है, बल्कि दिमाग भी हल्का महसूस करता है।

कैसे करें जीभ की सफाई?

तांबे, स्टील या चांदी के स्क्रैपर का उपयोग करें।

हल्के हाथों से अंदर से बाहर की ओर जीभ को साफ करें।

साफ करने के बाद कुल्ला करना न भूलें।

ध्यान और प्राणायाम (Meditation And Pranayama)

जब दिमाग बहुत ज्यादा भटकता है और विचारों का मेला लगा रहता है, तब ध्यान (मेडिटेशन) और प्राणायाम एक वरदान की तरह काम करते हैं। सिर्फ 10-15 मिनट का नियमित ध्यान आपके भीतर अद्भुत शांति भर सकता है। प्राणायाम से श्वास-प्रश्वास कंट्रोल होते हैं और दिमाग की उथल-पुथल धीमी पड़ जाती है।

ध्यान और प्राणायाम कैसे करें?

किसी शांत जगह पर बैठें।

आंखें बंद करें और गहरी सांस लें।

सांस पर ध्यान केंद्रित करें।

शुरुआत में 5 मिनट से शुरू करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।

भ्रामरी, अनुलोम-विलोम जैसे प्राणायाम विशेष रूप से लाभकारी हैं।

अभ्यंग (Abhyanga)

अभ्यंग यानी शरीर पर तेल से मालिश करना, आयुर्वेद में बेहद खास माना गया है। यह न केवल शरीर की थकान को दूर करता है, बल्कि दिमाग की चिंता और बेचैनी को भी मिटाता है। गर्म तिल या नारियल तेल से हल्के हाथों से रोज मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर होता है और दिमाग को गहरी शांति मिलती है।

कैसे करें अभ्यंग?

नहाने से पहले गर्म तेल से सिर और शरीर की मालिश करें।

तिल का तेल, नारियल तेल या आयुर्वेदिक हर्बल तेल का इस्तेमाल करें।

हल्के-हल्के गोलाई में मालिश करें और 20-30 मिनट बाद गुनगुने पानी से स्नान करें।

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