छत्तीसगढ़ इतिहास

रायगढ़ राज्य में न्याय व्यवस्था का संचालन

 छत्तीसगढ़,रायगढ़ राज्य में न्याय व्यवस्था का संचालन:- जिसे आज हम रायगढ़ और खरसिया तहसील का क्षेत्र कहते हैं वह विलय समझौते यानि राज्य के विलय के पूर्व रायगढ़ राज्य का क्षेत्र कहलाता था और रायगढ़ स्टेट कहलाता था। रायगढ़ से ही कलकत्ता से मुम्बई लाइन तक रेलवे की मुख्य शाखा गुजरती थी जो आज भी गुजर रही है और इसका उत्तर-दक्षिण तथा पूर्व-पश्चिम क्षेत्र क्रमशः जबलपुर, जशपुर, धरमजयगढ़, सारंगढ़ स्टेट तथा झारसुगुड़ा, संबलपुर की सीमाओं से सटा हुआ था। मध्यप्रदेश के पूर्वांचल छत्तीसगढ़ में खूबसूरत प्रकृति की गोद में बसे रायगढ़ राज्य की नींव करीब 500 वर्ष पूर्व महाराजा मदन सिंह ने रखी थी। बाद में राजा भूपदेव सिंह, चक्रधर सिंह और ललित सिंह ने गद्दी संभाली। संगीत सम्राट चक्रधर सिंह जी का जन्म संवत 1862 में गणेश चतुर्थी के दिन हुआ था। इसी क्रम में प्रतिवर्ष “गणेश मेला” का आयोजन होता है और इसी दौरान चक्रधर समारोह के नाम से संगीत महोत्सव का आयोजन होता है। रायगढ़ की तहसीलें धरमजयगढ़, घरघोड़ा, सारंगढ़, खरसिया और रायगढ़ हैं। 1854 में भोंसला राज्य के समाप्त होने और ब्रिटिश शासन के प्रत्यक्ष प्रभाव में आने के बाद, यहाँ की रियासतों और ज़मींदारियों के साथ पिछले समझौतों और चार्टर आदि को नवीनीकृत किया गया। 1864 से, छत्तीसगढ़ की ज़मींदारियों के दो विभाग बनाए गए। पहले वर्ग में शामिल ज़मींदारियों को रियासतों का दर्जा दिया गया और उनके शासकों को राजा या "शासक प्रमुख" कहा जाता था और दूसरे वर्ग के ज़मींदारों को ज़मींदार कहा जाता था।



प्रारंभ में, छत्तीसगढ़ के अंतर्गत स्थित 14 रियासतों में से, कालाहांडी, पटना रायखोल, बामरा और सोनपुर उड़िया भाषी क्षेत्र थे और बस्तर, कांकेर, राजनांदगांव, छुईखदान, खैरागढ़, कवर्धा, रायगढ़, सक्ती, सारंगढ़ हिंदी भाषी रियासतें थीं। सन् 1905 में छत्तीसगढ़ की पांच उड़िया भाषी रियासतों को बंगाल प्रांत में स्थानांतरित कर दिया गया तथा पांच हिंदी भाषी रियासतों छोटा नागपुर, सरगुजा, जशपुर, उदयपुर, कोरिया एवं चंगाबखार को मध्य प्रांत एवं बरार में शामिल कर लिया गया। इस तरह चौदह रियासतें एक बार फिर छत्तीसगढ़ में रह गईं। रायगढ़ राज्य का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री भूपदेव सिंह आत्मज धनश्याम सिंह जो 1894 में न्यायापालिका प्रमुख बने थे, उन्हें तीस शासन काल में राजा बहादुर की उपाधि दी गई थी तथा वे ही रायगढ़ राज्य का प्रशासन संचालित करते थे। उनकी मृत्यु के पश्चात उनके छोटे पुत्र चक्रधर सिंह रायगढ़ के राजा साहब बने। जिनकी मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र राजा ललित कुमार सिंह रायगढ़ राज्य के अंतिम राजा बने। जिनका राज्य भारत सरकार ने विलय समझौते के माध्यम से अपने में मिला लिया था। रायगढ़ राज्य में उच्च न्याय संबंधी व्यवस्थाओं के लिए बहुत पहले ही पॉलिटिकल एजेंट कोर्ट एवं बाद में एक उच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी, जिसे कॉमन उच्च न्यायालय के नाम से जाना जाता है। उक्त न्यायालय में रजिस्ट्रार के पद की स्थापना के साथ ही दीवान साहब ने न्यायाधीश के रूप में उच्च न्यायालय की अधिकारिता शक्तियों का प्रयोग किया।

Leave Your Comment

Click to reload image