सामान्य ज्ञान

भगवान गणेश की सीख: धन का घमंड न करें:कुबेर देव को हो गया था अपने धन का अहंकार, जानिए गणेश जी ने कैसे तोड़ा कुबेर का घमंड

अभी गणेश उत्सव चल रहा है, इन दिनों पूजा-पाठ करने के साथ ही गणेश जी से जुड़ी कथाएं पढ़ने-सुनने की परंपरा है। भगवान गणेश की कई ऐसी कथाएं, जिनमें जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र छिपे हैं। जानिए एक ऐसी कथा, जिसमें भगवान ने धन का अहंकार न करने की सीख दी है... देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव को अपने धन पर घमंड हो गया था। जीवन में धन सिर्फ एक साधन है, इसलिए ये जरूरी है कि हम धन को सिर्फ एक साधन की तरह ही देखें। जैसे ही हम धन का घमंड करने लगते हैं, हमारे रिश्ते खराब होने लगते हैं। धन का इस्तेमाल दूसरों की सहायता की करना चाहिए, न कि दिखावे में। कुबेर देव ने सोचा कि मेरे पास इतना धन है, मैं सभी को भरपेट भोजन करा सकता हूं। मुझे कुछ खास लोगों को भोजन पर आमंत्रित करना चाहिए। कुबेर शिव जी के पास पहुंचे और उन्हें सपरिवार अपने घर खाने पर बुलाया। शिव जी ने कुबेर से कहा कि आप हमें खाने पर बुला रहे हैं, इससे अच्छा तो ये है कि आप जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। कुबेर ने कहा कि प्रभु, मैं दूसरों को तो खाना खिलाता रहता हूं। मेरे पास इतना धन है, तो मैं आपके परिवार को भी भोजन कराना चाहता हूं। शिव जी समझ गए कि कुबेर को अपने धन का घमंड हो गया है। वे बोले कि मैं तो कहीं आता-जाता नहीं हूं, आप गणेश को ले जाएं। उसे भोजन करा दें। लेकिन, ध्यान रखें गणेश की भूख अलग प्रकार की है। जब तक उनका पेट नहीं भरता है, वह भोजन करते रहते हैं। कुबेर ने कहा कि मैं सभी को खाना खिला सकता हूं तो गणेश जी को भी खिला दूंगा। इसके बाद कुबेर ने गणेश जी को अपने यहां भोजन के लिए आमंत्रित कर लिया। अगले दिन गणेश जी कुबेर देव के महल पहुंच गए। कुबेर ने उनके लिए बहुत सारा खाना बनवाया था। गणेश जी खाने के लिए बैठे तो पूरा खाना खत्म हो गया। उन्होंने और खाना मांगा। कुबेर ये देखकर घबरा गए। उन्होंने और खाना तुरंत बनवाया तो वह भी खत्म हो गया। गणेश जी बार-बार खाना मांग रहे थे। कुबेर बोले कि अब तो सारा खाना खत्म हो गया है। गणेश जी ने कहा, मुझे अपने रसोईघर में ले चलो, मेरी भूख शांत नहीं हुई है। कुबेर गणेश जी को रसोईघर में ले गए तो वहां रखी खाने की सभी चीजें भी खत्म कर दीं, लेकिन गणेश जी अब भी भूखे ही थे। अब कुबेर को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए, जिससे गणेश जी तृप्त हो जाएं। कुबेर तुरंत ही शिवजी के पास पहुंचे। उन्होंने पूरी बात बता दी। शिव जी ने गणेश जी को देखा और कहा कि जाओ, माता पार्वती को बुलाकर लाओ। मां पार्वती को देखकर गणेश ने कहा कि मां, कुबेर देव के खाने से मेरी भूख शांत नहीं हुई है। मुझे खाने के लिए कुछ दीजिए। पार्वती अपने रसोईघर में गईं और खाना बनाकर ले आईं। उन्होंने जैसे ही अपने हाथ से खाना खिलाया तो गणेश को तृप्ति मिल गई। ये सब देखकर कुबेर देव का घमंड टूट गया। कुबेर को भगवान की लीला समझ आ गई। इसके बाद कुबरे देव ने शिव जी क्षमा मांगी और अहंकार न करने का संकल्प लिया। कथा से सीखें ये बातें

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