Vastu Shastra: भोजन के बाद की ये आदतें बन सकती हैं दरिद्रता का कारण, जानें क्या न करें…
27-Apr-2025
भारतीय संस्कृति में भोजन को केवल शरीर की भूख मिटाने का माध्यम नहीं, बल्कि एक पवित्र क्रिया माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि भोजन के बाद कुछ विशेष सावधानियाँ न बरतने पर घर में दरिद्रता, क्लेश और नकारात्मक ऊर्जा का वास होने लगता है.
भोजन के बाद की गई छोटी-छोटी आदतें जीवन पर गहरा प्रभाव डालती हैं. यदि हम सावधानी से भोजन की पवित्रता बनाए रखें और इन गलतियों से बचें, तो घर में सुख-शांति, समृद्धि और देवी लक्ष्मी का वास बना रहता है. आइए जानते हैं भोजन के बाद किन आदतों से बचना चाहिए…
1. झूठे बर्तन देर तक रखना (Vastu Shastra)
भोजन करने के बाद झूठे बर्तनों को देर तक रखने से घर में अशुद्धता फैलती है और नकारात्मक शक्तियाँ सक्रिय होती हैं. इससे देवी लक्ष्मी अप्रसन्न होती हैं और घर में दरिद्रता आने लगती है. इसलिए झूठे बर्तन तुरंत साफ कर देना चाहिए.
2. थाली में हाथ धोना
कई लोग भोजन समाप्त होने के बाद थाली में ही हाथ धोते हैं. यह अत्यंत अपवित्र माना गया है. शास्त्रों के अनुसार, थाली में हाथ धोने से अन्न का अपमान होता है और दुर्भाग्य बढ़ता है. हमेशा उचित स्थान पर जाकर हाथ धोना चाहिए.
3. भोजन का अपमान करना (Vastu Shastra)
भोजन छोड़ना, बर्बाद करना या बिना आदर के खाना भी लक्ष्मी माता का अपमान है. भोजन का आदरपूर्वक सेवन करना चाहिए और जो भी बच जाए, उसे सही तरीके से उपयोग में लाना चाहिए.
4. भोजन के तुरंत बाद सो जाना
खाना खाने के तुरंत बाद सोने से न केवल स्वास्थ्य खराब होता है, बल्कि आलस्य और नकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है. यह आदत आर्थिक कमजोरी का भी कारण बन सकती है. भोजन के बाद थोड़ी देर टहलना शुभ माना जाता है.
5. भोजन के बाद पेट पर हाथ फेरना (Vastu Shastra)
भोजन के तुरंत बाद पेट पर हाथ फेरना आलस्य और जड़ता को बढ़ाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इससे शरीर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में समृद्धि रुक सकती है.
6. भोजन के कण इधर-उधर गिराना
भोजन करते समय या बाद में खाने के कण जमीन पर गिराना अशुभ माना जाता है. इसे आलस्य और दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है. भोजन के बाद स्थान को साफ-सुथरा रखना अत्यंत आवश्यक है.
7. भोजन के बाद धन्यवाद न देना (Vastu Shastra)
भोजन के बाद ईश्वर का धन्यवाद न करना भी एक प्रकार का अहंकार माना जाता है. भोजन के बाद ‘अन्नदाता सुखी भव:’ या ‘त्रिप्यतु भगवान्न:’ जैसे छोटे-छोटे मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए.