शंख बजाने से घर में आती है सकारात्मक ऊर्जा, जानिए इसके पीछे की वास्तु और पौराणिक मान्यताएं
18-Jun-2025
हिंदू धर्म में शंख बजाना केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी आध्यात्मिक और वैज्ञानिक वजहें भी छुपी हुई हैं. शंख की ध्वनि को ‘नादयोग’ से जोड़ा गया है, जो भारतीय योगशास्त्र की एक विशेष विधा है. नाद, यानी ध्वनि के माध्यम से ध्यान, उपचार और वातावरण की शुद्धि संभव होती है. जब शंख बजाया जाता है, तो उससे निकलने वाली ध्वनि-तरंगें आसपास के वातावरण को कंपन में ले आती हैं. यह कंपन नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो शंख की ध्वनि अल्ट्रासोनिक फ्रीक्वेंसी उत्पन्न करती है, जो वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं और सूक्ष्म रोगाणुओं को नष्ट करने में सक्षम होती है.
वास्तुशास्त्र के अनुसार (Benefits of Blowing Shankh)
शंख की ध्वनि घर में समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति का संचार करती है. खासतौर पर सुबह और संध्या के समय शंख बजाने से वातावरण शुद्ध होता है और मानसिक तनाव भी कम होता है. यह ध्वनि हमारे मस्तिष्क की तरंगों को संतुलित कर एकाग्रता और आंतरिक ऊर्जा को बढ़ावा देती है.
पौराणिक मान्यता (Benefits of Blowing Shankh)
भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के हाथों में शंख होने का मुख्य कारण यही है — यह धन, वैभव और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए, पूजा-पाठ के समय शंख बजाना ईश्वरीय ऊर्जा को आमंत्रित करने और वातावरण को सात्त्विक बनाए रखने का एक प्रभावी माध्यम माना गया है.