भारतीय संस्कृति में वृक्ष केवल छांव और ऑक्सीजन देने वाले पेड़ नहीं हैं, बल्कि आस्था और आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं. इनमें वट, आंवला और केले का स्थान सबसे खास है. इनकी पूजा अलग-अलग परिस्थितियों और विशेष तिथियों पर की जाती है, जिससे जीवन की बड़ी समस्याओं का समाधान संभव माना जाता है. इन तीनों वृक्षों की पूजा न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी है, बल्कि मानसिक शांति, पारिवारिक समृद्धि और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने का भी उपाय मानी जाती है. यही कारण है कि पीढ़ियों से इनकी परंपरा आज भी उतनी ही मजबूत है.
वट वृक्ष की पूजा (Tree Worship Benefits)
विवाहित स्त्रियाँ ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री व्रत करती हैं. मान्यता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है. इसकी पूजा करने से पति की दीर्घायु, दांपत्य जीवन की खुशियां और संतान सुख की प्राप्ति होती है. जिनके वैवाहिक जीवन में तनाव है, उन्हें वट वृक्ष की परिक्रमा और पूजन से राहत मिलती है.
आंवला वृक्ष का महत्व (Tree Worship Benefits)
कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है. आंवले में भगवान विष्णु का वास माना गया है. इसकी पूजा और इसके नीचे भोजन करने से पाप नाश होता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों और लगातार रोगों से पीड़ित लोगों को आंवला पूजन विशेष लाभ देता है.
केले की पूजा (Tree Worship Benefits)
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है. इस दिन केले के पेड़ की पूजा करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और घर में लक्ष्मी का वास होता है. संतान प्राप्ति की कामना करने वाले दंपति भी केले की पूजा करके शीघ्र फल प्राप्त करते हैं.